ग़ज़ल
एक प्रयास..
Wednesday, May 28, 2008
कविता कोश पर मेरी ग़ज़लें...
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आज की ग़ज़ल
खिड़की पर अश'आर
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*जैसे रेल की हर खिड़की की अपनी अपनी दुनिया है* *कुछ मंज़र तो बन नहीं पाते कुछ पीछे रह जाते हैं* *अमजद इस्लाम अमजद* * सो गए लोग उस हवेली के* *एक खिड़की मग...
3 days ago
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द्विजेन्द्र ‘द्विज’
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